नेचुरोपैथी यानी प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति। यह चिकित्सा पद्धति शरीर के सम्पूर्ण आरोग्य पर आधारित है। इस चिकत्सा का मूल मंत्र है शरीर को प्राकृतिक रूप से, बिना किसी दवा के शरीर को संतुलित बनाकर सम्पूर्ण रूप से स्वस्थ बनाना।
इस पद्धति में रोगों का जड़ से निदान करके शरीर को पुनः नवजीवन प्रदान किया जाता है। हमारा शरीर प्रकृतिक रूप से पाँच तत्वों से बना होता है जिन्हें हम क्षिति(मिट्टी), जल, अग्नि, वायु और आकाश के रूप में जानते हैं। इन तत्वों का जब शरीर में असंतुलन हो जाता है तब तमाम तरह की बीमारियाँ शरीर को घेर लेती हैं। ऐसे में प्राकर्तिक चिकित्सा के माध्यम से इन तत्वों का शरीर में पुनर्संतुलन स्थापित किया जाता है और शरीर को एक संपूर्णता में स्वस्थ बनाया जाता है।
इस पद्धति के माध्यम से रोगों का निदान करने और उनका इलाज करने के लिए प्राकृतिक प्रदार्थों का उपयोग और सही तरह का आहार दिया जाता है। आवश्यकता होने पर जड़ी-बूटियों, पौधे, फल, पत्तियों, बीज और तेल आदि का प्रयोग भी किया जाता है।
यह एक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है, जो स्वास्थ्य देखभाल की पारंपरिक प्रथाओं की अलग-अलग विधियों से विकसित हुई है। समय के साथ-साथ नेचुरोपैथिक चिकित्सा में भी काफी बदलाव होते आए हैं और आज भी दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।
वैसे तो नेचुरोपैथी में कई अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज किया जाता है, किन्तु यह पद्धति में मुख्य रूप से समग्र स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। जिसमें आमतौर पर शरीर को सभी प्रकार के रोगों से मुक्त रखकर एक स्वस्थ जीवन प्रदान किया जाता है।
आजकल कई देशों में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति प्रचलित हो चुकी है। इस चिकित्सा के माध्यम से असाध्य और जटिल लगने वाले रोगों का इलाज भी सहजता पूर्वक किया जाता कहा जाता है।
नेचुरोपैथी के फायदे
प्राकृतिक उपचार से होने वाले लाभों में मुख्य रूप से निम्न को शामिल किया जा सकता है –
- मानसिक लाभ –प्राकृतिक चिकित्सा एक ऐसी प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, जो मरीज को न सिर्फ रोगों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मदद करता है इसके साथ ही सकारात्मक भावनाओं को उत्तेजित करता है। सकारात्मक भावनाएं तनाव, चिंता और अवसाद जैसी स्थितियों को कम करने में मदद करती है और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करती है।
- व्यक्तिगत रूप से उपचार –नेचुरोपैथी व्यक्तिगत रूप से काम करता है, जिसे इस उपचार प्रणाली का एक प्रमुख फीचर माना जा सकता है। इसका मतलब यह है कि एक ही रोग के लिए हर व्यक्ति के अनुसार उसका इलाज भी अलग-अलग तरीके से हो सकता है। इसमें हर व्यक्ति के रोग का इलाज करते समय चिकित्सक उसके रोग, स्वास्थ्य और अन्य शारीरिक जरूरतों को समझने में पूरा समय देते हैं।
- रोग व रोगी दोनों का इलाज –मॉडर्न मेडिसिन की तरह इसमें सिर्फ रोग का ही इलाज नहीं किया जाता है। नेचुरोपैथी में रोगों का इलाज करने के साथ-साथ मरीज की स्वास्थ्य स्थिति में भी सुधार किया जाता है। कई प्राचीन इलाज प्रणालियों की तरह नेचुरोपैथी में भी रोग के साथ-साथ रोगी का इलाज करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। रोग व रोगी के सभी पहलुओं पर विचार करके ही नेचुरोपैथी में इलाज तैयार किया जाता है।
- एलोपैथिक दवाओं के साथ लाभदायक –कई प्राचीन चिकित्सिया पद्धतियां ऐसी हैं, जिन्हें एलोपैथिक या अन्य किसी चिकित्सा प्रणाली के साथ नहीं लिया जा सकता है। इतना ही नहीं ऐसा करने पर मरीज का स्वास्थ्य उल्टा बिगड़ जाता है और साइड इफेक्ट के रूप में कई बीमारियां भी पैदा हो जाती हैं। ठीक इसके विपरीत नेचुरोपैथी की कई दवाएं एलोपैथिक दवाओं के साथ मिलकर और भी प्रभावी रूप से काम करती हैं। उदाहरण के लिए यदि किसी रोग से लड़ने के लिए एलोपैथिक दवाएं ली जा रही हैं, तो शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाने के लिए नेचुरोपैथिक दवाएं दी जा सकती हैं।
- सस्ता विकल्प –जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है, इसमें अधिकतर इलाज प्राकृतिक तरीके से किए जाते हैं जिनमें मुख्य रूप से आहार में जरूरी बदलाव, जीवनशैली में सुधार, परहेज और व्यायाम आदि शामिल हैं। प्राकृतिक होने के कारण ये दवाएं अन्य पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों से सस्ती होती है। ऐसा आमतौर पर इसलिए होता है, क्योंकि मॉडर्न मेडिसिन को तैयार करने की लागत अधिक होती है और प्राकृतिक दवाओं की लागत कम होती है।
नेचुरोपैथिक इलाज
नेचुरोपैथी में रोगों का इलाज नेचुरोपैथिक डॉक्टर द्वारा ही किया जाता है। इस चिकित्सा प्रणाली में व्यक्ति के स्वास्थ्य व अन्य शारीरिक जरूरतों के अनुसार उपचार प्लान तैयार किया जाता है। जिसका मतलब यह है कि एक ही सिद्धांत पर काम करते हुए और एक ही रोग के लिए अलग-अलग व्यक्तियों में इलाज भी भिन्न हो सकते हैं। अधिकतर रोगों में नेचुरोपैथिक इलाज सिर्फ आहार व पोषक तत्वों पर ही आधारित होता है। नेचुरोपैथिक डॉक्टर व्यक्ति के रोगों और स्वास्थ्य स्थितियों के अनुसार डाईट प्लान में बदलाव करते हैं, ताकि शरीर को वे सभी पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मिल सकें जिनकी उसे जरूरत है। इसमें परहेज का भी काफी महत्व है, जिस दौरान उन सभी खाद्य पदार्थों के सेवन को बंद किया जाता है जो स्थिति को बदतर बनाते हैं। प्राकृतिक चिकित्सा में इलाज के दौरान दिए जा रहे डाइट प्लान में आमतौर पर फल, सब्जियां, कम वसा वाले मांस और साबुत अनाज आदि को शामिल किया जाता है। इसके अलावा शरीर में पोषक तत्वों की मात्रा को बढ़ाने के लिए आपको मौसमी और स्थानीय विशेष फल, सब्जियां व अन्य खाद्य पदार्थ खाने की सलाह दी जा सकती है। इतना ही नहीं नेचुरोपैथिक चिकित्सा के कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि भोजन को पकाने की बजाय कच्चा खाने से उससे अधिक मात्रा में पोषक तत्व मिल सकते हैं। प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली के विशेषज्ञ आमतौर पर इलाज में निम्न को शामिल करते हैं –
- आहार व पोषक संबंधी खाद्य पदार्थ
- व्यायाम व जीवनशैली में सुधार
- हाइड्रोपैथी (पानी पर आधारित इलाज प्रक्रियाएं)
- मैनिपुलेटिव थेरेपी (संतुलन बनाने के लिए शरीर के किसी अन्य हिस्से पर दबाव डालना)
- हर्बल पर आधारित सप्लीमेंट्स देना
- शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालना
- साइकोथेरेपी
- मसाज
- मॅड थेरेपी
- फूड थेरेपी
- कोलन डिटाक्स
- शिरोधारा
- नेत्र दर्पण (आँख से जुड़ी बीमारियों के लिए)